Shodashi - An Overview
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ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौः: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ऐ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौः: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं
साहित्याम्भोजभृङ्गी कविकुलविनुता सात्त्विकीं वाग्विभूतिं
The reverence for Goddess Tripura Sundari is obvious in just how her mythology intertwines Using the spiritual and social cloth, offering profound insights into the character of existence and The trail to enlightenment.
Charitable acts including donating food and dresses towards the needy can also be integral to the worship of Goddess Lalita, reflecting the compassionate element of the divine.
Considering that one among his adversaries had been Shiva himself, the Kama acquired large Shakti. Missing discrimination, the man began developing tribulations in many of the 3 worlds. With Kama acquiring much electrical power, and Together with the Devas dealing with defeat, they approached Tripura Sundari for enable. Taking up all her weapons, she billed into battle and vanquished him, So saving the realm with the Gods.
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
On the sixteen petals lotus, Sodhashi, who's the form of mom is sitting down with folded legs (Padmasana) removes many of the sins. And fulfils all of the wishes with her sixteen types of arts.
The Tale is usually a cautionary tale of the strength of desire along with the requirement to build discrimination by meditation and following the dharma, as we development within our spiritual path.
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
यह देवी अत्यंत सुन्दर रूप वाली सोलह वर्षीय युवती के रूप में विद्यमान हैं। जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पाताल तथा पृथ्वी) में सर्वाधिक सुन्दर, मनोहर, चिर यौवन वाली हैं। जो आज भी यौवनावस्था धारण किये हुए है, तथा सोलह कला से पूर्ण सम्पन्न है। सोलह अंक जोकि पूर्णतः का प्रतीक है। सोलह की संख्या में प्रत्येक तत्व पूर्ण माना जाता हैं।
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra sharpens the head, improves concentration, and increases mental clarity. This profit is efficacious for college kids, industry experts, and those pursuing intellectual or Artistic goals, as it fosters a disciplined and concentrated approach to jobs.
इसके अलावा त्रिपुरसुंदरी देवी अपने नाना रूपों में भारत के विभिन्न प्रान्तों में पूजी जाती हैं। वाराणसी में राज-राजेश्वरी मंदिर विद्यमान हैं, जहाँ देवी राज राजेश्वरी(तीनों लोकों की रानी) के रूप में पूजी जाती हैं। कामाक्षी check here स्वरूप में देवी तमिलनाडु के कांचीपुरम में पूजी जाती हैं। मीनाक्षी स्वरूप में देवी का विशाल भव्य मंदिर तमिलनाडु के मदुरै में हैं। बंगाल के हुगली जिले में बाँसबेरिया नामक स्थान में देवी हंशेश्वरी षोडशी (षोडशी महाविद्या) नाम से पूजित हैं।
It is mostly identified that knowledge and prosperity never remain jointly. But Sadhana of Tripur Sundari gives both equally as well as removes disorder together with other ailments. He under no circumstances goes beneath poverty and gets fearless (Shodashi Mahavidya). He enjoys many of the worldly contentment and gets salvation.